चुनाव अपना अपना

कमल और अभिषेक एक ही रास्ते पर एक साथ चल रहे है. उन्होंने यात्रा भी एक साथ शुरू की है और उन्हें एक ही जगह जाना है. दोनों ही पैदल जा रहे है. तो क्या उनके अनुभव भी एक जैसे होंगे ?

बिलकुल नहीं. जहाँ कमल को अपने आस पास की घटनाये और जगह परेशानीभरी, बेंमजा और साधारण लग रही है वहां अभिषेक को वो ही चीजे आनंददायक, सुंदर और असाधारण लग रही है.

जब में आपको इन दोनों पात्रों का परिचय दूंगा तो शायद आपको इस अंतर की वजह समझ में आ जाये. कमल एक आफिस मै चपरासी की नौकरी करता है और वह अपने ६ लोगों के परिवार का अकेला कमाऊ सदस्य है. वह पैदल इस लिए जा रहा है कि बस का किराया देने की उसकी हैसियत नहीं है, दूसरी और अभिषेक एक बड़ा व्यापारी है. उसके पास कई गाड़ियाँ है. वह पैदल इस लिए चल रहा है कि पैदल  चल कर वह कुछ व्यायाम कर सके.

इस उदहारण द्वारा मै जिस बात की ओर इशारा कर रहा हूँ वह यह है कि 'अंधानुसरण' मुर्खता है. अगर कोई और कुछ काम कर रहा है तो हमें भी उसकी तरह काम करके वैसे ही फल मिलेंगे -ऐसा मान लेना सही नहीं.
इस दुनियां मै बिलकुल एक जैसे दो पत्ते या पत्थर भी ढूँढना कठिन है, फिर दो इंसान कैसे एक जैसे हूँ सकते है जिनमे से हर एक के पास यह क़ाबलियत है कि वह अपने आप को अपनी सोच से बदल सके.  हर व्यक्ति अपनेआपमे अनूठा है. इसलिय हर घड़ी हर पल हमें क्या करना है कैसे करना है इसका निर्णय हमें स्वयं ही करना चाहिए. माता पिता मित्र या साथी सिर्फ सलाह ही दे सकते है. उस में से किसकी सलाह माने और किस हद तक ये काम हमारा ही है.
हम क्या कर्म करे ये एक निजी चुनाव है. कुछ कर्म हमें मजबूरी  में करने होते है और कुछ निर्णय हम अपनी मर्जी से ले सकते है. शायद ही कभी ऐसा हो कि सारी मजबूरियां किसी एक के सर पर बैठी हों (कोई कितना भी गरीब और लाचार क्यों न हो)  और कोई हर निर्णय के लिए आजाद हो (कोई चाहे बिल गेट या बराक ओबामा क्यों न हो ) .
चित्र -आभार - Pleasure Gait Farms
           

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