छोटी पैकिंग बड़ा दिमाग

हफ्ते भर में गोरा बनाने की क्रीम हो या बालों को लम्बा और मजबूत बनाने का शेम्पू , आज हर चीज आपको छोटे से शेशे में मिल जायेगी, एक-दो या पांच रूपये भर में. ये सुविधा सिर्फ महानगरों के शोरूम या मॉल में नहीं बल्कि छोटे से छोटे गोंव या कसबे में और आपके गली मोहल्ले के नुक्कड़ में भी आसानी से मिल जायेगी.
अगर पैकिंग को देखें तो उम्दा दर्जे की मिलेगी जिस पर अच्छा खासा खर्चा आता होगा. और इस एक दो रूपये के उत्पाद को आपको अपने  मनपसंद  सितारे  टेलीविजन , मैगजीन या बड़ी बड़ी होर्डिंग्स पर बेचते नजर आएंगे. सुना है इसके लिए वो करोडो रुपये लेते हैं. देश के कोने कोने में फैले हजारों या कभी कभी लाखों दुकानों और शोरूम तक रातों रात पहुँचने में कितना खर्चा आता होगा? और कंपनी के कितने ही अधिकारी जो लाखों रुपये (कभी कभी करोड़ों ) की तनखा वसूलते हैं इस उत्पाद को सफल बनाने में अपना समय देते होंगे. महंगे और नामी विशेषज्ञों की राय भी जरूर ली जाती होगी तगड़ी फीस अदा कर के.  इन सब के आलावा उसके बनाने में भी कुछ न कुछ तो खर्च होता ही होगा?

इन सब के बाद क्या एक रुपये की बिक्री में दस बीस पैसे बच जाता होगा,सरकार को सारे टैक्स देने के बाद?

विज्ञान ,तकनीक और नेटवर्किंग की इस आधुनिक दुनिया का ये अदभुद महागाणित है.

1 comment:

  1. इन सब के आलावा उसके बनाने में भी कुछ न कुछ तो खर्च होता ही होगा?
    ....जरूर ...कुछ-न-कुछ खर्च तो होता ही होगा !!!!

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