हो तैयार ?

..सुदीप के पिताजी को रात में २ बजे  अचानक दिल का दौरा पड़ा, उस बक्त उसके दिमाग में सिटी होस्पीटल का ही नाम सुझा जो उसके घर से १५ किलोमीटर दूर था. उसकी मोटर-साईकिल  में पेट्रोल  नहीं था और  रिक्शा  ऑटो  मिल नहीं रहे थे.  तीन चार पड़ोसियों को जगाया तब जाकर गाड़ी का इंतजाम हो पाया.  पर अस्पताल पहुँचते पहुँचते लगभग एक घंटा लग गया जिससे उनकी हालत काफी बिगड़ गयी.

..रमा  किसी काम से शहर से बाहर गयी थी जहाँ ट्रेन में उसका पर्स  चोरी हो गया. वह अपने एटीऍम कार्ड को तुरंत ब्लोक करना चाहती थी पर उसके पास बैंक का हेल्प-लाइन नंबर नहीं था. पूंछताछ करने पर कुछ देर में एक यात्री से ये नंबर भी मिल गया पर उसे न तो अपने  एटीऍम कार्ड का और न ही अपना बैंक खाता  नंबर याद था. उसे कार्ड ब्लोक करने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा.

..रीता अपनी सहेलियों के साथ पिकनिक मनाने  शहर से दूर एक जगह गयी थी जहाँ से वापस आते हुए  कुछ वक्त  की   देरी हो गयी और सड़क पर ट्रेफिक बहुत कम हो गया. ऐसे में उसकी कर का टायर पंक्चर हो गया. जब तक घर से उसका भाई वहां पहुंचा उसमे एक घंटे से ज्यादा बीत गया और इस दौरान लड़कियाँ असहाय और परेशान रही.

..अहमद का मोबाईल फ़ोन चोरी हो गया.  उसने इसका बिल भी संभल कर नहीं रखा था, न ही उसे उसके मोडल का नंबर ठीक से याद था. इससे उसको थाने में चोरी की रिपोर्ट करने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

इन सब वाकियों  से ये साफ़ है  कि जब मुसीबत आती है तो उस थोड़े से वक्त में छोटी छोटी बातें भी बड़ी समस्या  बन  जाती हैं.  असमंजस और बदहवासी की हालत में दिमाग भी ठीक से काम नहीं करता और सीधी सादी बात भी नहीं सूझती .

आज के युग में (पैसे लेकर ही सही) किसी भी स्थिति में मदद करने वालों की कमी नहीं, पर मुसीबत के समय हम उन तक पहुँच ही नहीं पाते क्योंकि इसके लिए हम तैयार ही नहीं होते.

इस तैयारी के लिए किसी बड़े आयोजन या धन की जरूरत नहीं. एक आम आदमी अपने सीमित साधनों से अपने आपको अधिकतर विपदाओं से निपटने के लिए कम से कम सही सूचनाओ से तो लैस कर ही सकता है. और इसमें सहायक हो सकता है हमारा मोबाईल फोन.

इस बारे में कुछ सुझाव ये है-

१. अपने घर के आस पास के २/३ अस्पतालों के फोन नंबर अपने मोबाईल में सेव करके रखे जिससे अगर एम्बुलैंस    बुलानी हो या फोन पर डाक्टर से बात करनी हो तो देरी न हो.
२. अगर आप कार ,स्कूटर या बाइक रखते हो तो २/३ मेकेनिक के फोन नंबर भी सेव कर लें  ताकि  उन्हें  जल्दी  बुला सके.
३.पास के किसी टेक्सी / ऑटो स्टैंड का नंबर सेव करके रखें. या फिर दो तीन टेक्सी /ऑटो वाले  ड्राईवर  जिनकी  सेवाएं अपने कभी ली हों उनका मोबाईल नंबर ही सेव कर रखें ताकि मुसीबत के समय आपका समय बर्बाद न हो.
४. कुछ खास नंबर अपने मोबाईल में जरूर सेव करें जैसे -
    (अ) अपनी मेडीक्लैम या इन्शुरन्स  पालिसी  नंबर और इनके प्रोवाइडर  का हेल्प लाइन  फोन नंबर
    (ब) अपना बैंक अकाउंट नंबर ,ए टी एम् नंबर और बैंक का हेल्प लाइन फोन नंबर.
   (स) कुछ खास नम्बर  जिनसे आपको मदद मिल सकती है और आपको याद नहीं रहते उन्हें भी मोबाईल में  सेव किया जा सकता है  जैसे कि  विभिन्न  सन्सथानो में आपके मेम्बरशिप नंबर अदि.
५. यदि आप किसी वकील या पुलिसकर्मी को जानते हैं तो उनका फोन नंबर साथ होने पर आपको समय पर कानूनी जानकारी या  प्रशाशनिक मदद मिल सकती है.
६. अपने चार-पांच खास लोगो के फोन नंबर स्पीड डायल  पर जरूर सेव करें ताकि जरूरत के  समय जल्दी उनसे जुड़ सकें.
७.अगर आपका मोबाईल ही खो जाये या चोरी हो जाये तो आप ऊपर लिखी सारी जानकारी का कोई उपयोग नहीं कर सकेंगे.  ऐसी स्तिथि से बचने के जिए ये सब जानकारी एक कागज पर  लिख कर भी अपने साथ रखें. साथ ही उस कागज पर अपने मोबाईल का मोडल नंबर और आइ इ एम आइ  नंबर भी जरूर लिखे. (प्रत्येक मोबाईल के इस विशिष्ठ  नम्बर को   जानने के लिए अपने मोबाईल के पीछे देखे या *#०६# डायल करे.)
८. अगर आपके घर में पत्नी,बच्चे या बुजुर्ग अकेले रहते हैं और उनके पास मोबाईल नहीं है तो ये सब जानकारी लैंड लाइन फोन के पास दीवार पर लिख कर  टांग  दे .
९.कुछ पैसे अपने बटुए या पर्स से अलग निकाल कर रख दे किसी और जगह पर जैसे अपनी कार या बाइक में या चश्मे के कवर में इत्यादि. आपके पर्स खो जाने की स्तिथि (भगवान  न करे ऐसा आपके साथ हो) ये बड़े मददगार साबित होंगे.

उम्मीद करता हूँ कि ऊपर बताई गयी छोटी छोटी बातों  पर अगर अब तक आपका ध्यान  न गया  हो, तो अब उन पर विचार कर अमल में लाने का प्रयास  करेंगे.

वैसे मै कामना करता हूँ कि इश्वर आपको विपदाओ से दूर रखे.

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