मशीनी दुनिया के बौने लोग
मेरे एक मित्र के पास बिजली विभाग से नोटिस आया कि वो बिजली के बकाया बिल का भुगतान करें अन्यथा उनका कन्नेक्शन काट दिया जायेगा. मजेदार बात ये थी कि बकाया रकम के आगे संख्या दिखाई गयी थी वो थी 'शून्य' . ये एक कम्पूटर जनित पत्र था जिसमे भेजने वाले के हस्ताक्षर नहीं थे वर्ना उस महानुभाव को पकड़ा भी जा सकता था जिसने ऐसा हास्यास्पद नोटिस बनाया था.
कमपूटर जी जिन्होंने ये नोटिस बनाया था उनको ढूँढने के चक्कर में मित्र महोदय को न जाने किस किस के आफिस में चक्कर लगाने पड़े . 'आफिस-आफिस' टी वी सीरियल की तरह वे जहाँ भी गए सबने किसी न किसी और से मिलने की सलाह दी पर उनकी समस्या जस की तस बनी रही और नोटिस आना जारी रहे.
किसी सयाने ने उन्हें एक उपाय बताया जिससे उनकी समस्या बड़ी आसानी से दूर हो गयी. उन्होंने एक चैक बिजली विभाग के नाम बनाया और उस पर जो रकम लिखी वो थी 'शून्य रुपये मात्र'. इस चैक को जमा करते ही न सिर्फ उनके यहाँ नोटिस आना बंद हो गए वरन कम्पूटर जी का एक पत्र भी आया जिसमे लिखा था 'बिजली का बिल चुकाने के लिए धन्यवाद'.
आज की इस मशीनी दुनिया में अधिकतर फैसले कम्पूटर में दर्ज डाटा के आधार पर उस सोफ्टवेयर के लोजिक से होते हैं जिसकी समझ उसे बनानेवाले की उस वक्त की जानकारी और बुद्धि पर होती है.
नादान कम्पूटर तो मशीन मात्र है. उसमे न तो इंसानी समझ की शक्ति है और न ही नयी समस्याओं और हालातों के आने पर उनसे जूझने का जज्बा. ये सिर्फ 'विश्वास ' और 'आशा' के भरोसे ही बड़ी बड़ी योजनाओं को अंजाम देने का इंसानी माद्दा भी नहीं रखता.
पर इस मशीनी चकाचोंध में हम इंसान अपना ही कद छोटा कर डालेंगे?
चित्र साभार Free-StockPhotos.com
बाल की खाल
ये बाल भी बड़ी विचित्र चीज़ है.
एक तो जगह के साथ इसका नाम बदल जाता है – सर पर बाल, माथे पर भों ,होठों पर मूंछ, गलों पर दाढी और ...........
दूसरे, ये कोई मृत पदार्थ नहीं है, शरीर का एक जीवित हिस्सा है पर आप इन पर बेरहमी से कैंची चला सकते हैं ,और आपको बिलकुल भी दर्द नहीं होगा. बल्कि हजारों लोगों की तो रोजी – रोटी ही इसी धंधे से चलती है.
तीसरे शरीर के बाकी हिस्सों की बढ़त तो वयस्क होने पर रुक सी जाती है पर बाल कितने भी ब्रद्ध होने पर भी लगातार बेलगाम बढ़ते रहते है.
इन विचित्रताओं के कारण ही शायरों ने इन पर हजारों शेर और गाने लिख डाले है और हसीनाएं (कुछ हसीन भी) इस पर अपना ढेर सा वक्त खर्च कर डालती है. फिल्मों में तो हेयर स्टाइलिश आदमी का रूप ही बदल देते है.
बाल अगर झडने लगे तो हमें इनकी कमी का असली अहसास होता है. जब हम इनको पूरी तरह से खो देते हैं तो अक्कासर दूसरों के मजाक का पात्र बन बैठते हैं. अकसर दुख: के समय (जैसे किसी बड़े बूडे की मौत) इन्हें शरीर से विदा करने की परंपरा देखी जा सकती है.
बाल बड़ी बेशर्मी से शरीर के किसी भी अंग पर उगने की ताकत रखते हैं पर कुछ लोगों से इनकी ये बढ़त देखी नहीं जाती और वो उन्हें जब मौका लगे उड़ाने की फ़िराक में रहते है. बहुत सी कम्पनी तो बाल उड़ाने के यंत्र और दवाईयाँ बना कर ही करोडो रुपये कमा रही हैं.
कई समझदार लोग इनकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोडते और फिर अच्छे बालों के कारण ही अपनी पहचान बनाते हैं. सिख जाति में बाल कटना वर्जित है तो उसका इनाम उन्हें ये मिलता है कि उन्हें हेलमेट खरीदने पर पैसे खर्च नहीं करने पड़ते.
हमें सर पर तो बालों को ताज बना कर बिठाना मंज़ूर है पर गालों से इनकी नज़दीकियाँ नागवार गुज़रती है इसलिए शेविंग को अकसर लोगो ने अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना डाला है है और चिकने गालों (सुंदरियाँ 'गालों' की जगह 'टाँगें' पढ़े ) को सुंदरता का पैमाना.
बाल की खाल निकालने वालों की इस दुनिया में पहले ही से कमी नहीं और आज एक और (मैं भी) शामिल हो चला है.
चित्र साभार http://www.freedigitalphotos.net/
Subscribe to:
Posts (Atom)
Labels
- MyLinks (1)
- कविता (31)
- कहानी (52)
- नमूने (5)
- पुन:-प्रकाशित (5)
- प्रकाशित (112)
- प्रिंट_कविता (1)
- प्रिंट_शोधपत्र (3)
- योग (29)
- व्यंग-विनोद (11)
- शोधपत्र (3)
- सम्मान & पुरुस्कार (13)
- सुनी सुनायी बातें (1)