किसका फायदा ?

क्या आपके कदम ‘सेल’ ,’कीमत में भारी कटौती’ जैसे बैनर देख कर उधर की तरफ मुड जाते है?


क्या आप कुछ पैसे बचाने के चक्कर में उससे कही ज्यादा सामान खरीद लेते है जो घर से सोच कर आये थे ?

इसमे आपको किसका फायदा दिखाई देता है?

शायद आपका उत्तर हो, ‘मेरा, और किसका’.

पर ध्यान से सोचकर देखिये . जिसने भी ये बैनर लगाये है वह बाज़ार में पैसा कमाने के लिए ही बैठा है . इस तरह की खरीदारी में कौन क्या खोता है और कौन क्या पाता है इस गणित को समझाने की कोशिश करते है.

उदाहरण के लिए आप एक खास स्टोर ‘बड़े नामवाला’ में जाकर २० किलो चीनी का एक विशेष पैकट खरीदते हैं. इसकी बाज़ार भाव पर कीमत १००० रुपये बताई जाती है पर आपको यह पैकट ३० % छूट के साथ मात्र ७०० रुपये मैं दिया जाता है. इस तरह आपको ३०० रुपये की बचत के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

पहले देखते हैं कि इस खरीद में आप क्या खोते है-

मान लीजिए आप के घर में महीने की चीनी कि खपत २ किलो है और आप हर महीने किराने का सामान खरीदते है क्योंकि आपकी (या आपके पति की) तनखा महीने में एक बार मिलती है.

अगर ये लुभावना सेल का ऑफर ना होता तो आप १००० की बजाय सिर्फ १०० रुपये की ही चीनी खरीदते और बाकी के ९०० रुपयों को अपनी बनाई हुई लिस्ट (कागज या दिमाग में) घर की जरूरत की कोई और चीज खरीदते जो बच्चों के कपडे, जूते ,कोई बर्तन या घर में इस्तेमाल का कोई और सामान हो सकता था. पर ९०० रुपये मूल्यों की इन चीजों को अपने ९ महीने पीछे धकेल दिया क्योंकि उनकी जगह अपने ९ महीने के लिए चीनी एडवांस में खरीद डाली है. आप आपको कम से कम ९ महीने इंतज़ार करना होगा उन चीजों के लिए जिन्हें आप घर के लिए उपयोगी समझते हैं.

आप कह सकते हैं चीनी तो राजमर्रा इस्तेमाल की चीज है अगर थोक में सस्ते भाव पर खरीद ली तो क्या गलत कर दिया? कभी कभाद की गयी इस तरह की खरीदारी हमारे लिए फायदेमंद हो सकती है पर अगर आपकी आधी से ज्यादा तनखा इस तरह की खरीदारी में चली जाती है तो शायद घर की शांति भी भंग होना शुरू हो जाती होगी (जिसका अहसास अक्सर बाद में होता है) और ये सवाल भी आपको परेशान करने लगता होगा कि फलां आदमी का घर इतनी ही तनखा में कैसे मजे से चल जाता है. क्या आप ऐसे किसी सवाल को नज़रअंदाज करते है ?

बिना जरूरतों की सस्ती चीजें इकठ्ठा करने वालों पर ये पुरानी कहावत खूब लागू होती है ‘महंगा रोये एक बार, सस्ता रोये बार बार’.

आब ये देखते हैं कि इस तरह के सेल ऑफर को रखने वाला खुद क्या पाता है-

एक तो उसे अपने माल की बिक्री के लिए मामूली सी कम कीमत पर ही सही, पर निश्चित खरीदार मिलता है. इस तरह की खरीदारी से उसकी सेल अचानक बढ़ जाती है और दाम में की गयी कमी की भरपाई पैसे के फास्ट रोटेशन से आसानी से हो जाती है.

आपको इस खरीदारी से जो फायदा होगा वो तो आने वाले समय में होगा पर उसका माल अभी बिक जाता है. यही नहीं ‘शर्तें लागू है’ के मकडजाल में फंसाकर वह हर हाल में अपना फायदा तो पहले से ही सुनिश्चित करके बैठता है, और कई बार अपना आगे का सौदा भी पक्का कर लेता है . फिर अकसर वह आपको अपने माल की लत लगाने की योजनाओ में भी कामयाब हो जाता है. फिर अगर आप जब एक सस्ती चीज उसके यहाँ से खरीद रहे हैं शायद सब खरीदारी एक ही जगह से कर समय बचाने के चक्कर में अनजाने में कई महंगी चीजे भी साथ में खरीद डालें.

तो वास्तव में इस तरह के सौदे से किसका फायदा हुआ?

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