मोबाइल की घंटी



मेरे एक मित्र अपने मोबाइल के घंटी बार बार बजने से परेशान है. उनकी जानकारी का दायरा इतना बड़ा है कि उनसे बात करने वालों का ताँता लगा रहता है. हर कोई बिना बक्त की परवाह किये हुए उनसे अपनी समस्याए साझा करना चाहता है या सुझाव लेना/देना चाहता है. अक्सर लोगों को इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं होता कि उनकी बातचीत के बाद उन पर क्या बीतती होगी. 

वहीं मेरे एक दूसरे मित्र अपने मोबाईल के बिलकुल न बजने से परेशान रहते है. उन्हें लगता है कि लोग उन्हें याद ही नहीं करते , बस किसी जरूरी कम के लिए ही फ़ोन करते है.

ये मोबाइल भी अजीब चीज है ,बार बार बजे तो आफत ,न बजे तो भी आफत .

दरसल ये कसूर मोबाईल का न होकर इंसान की फिदरत का है. हम चाहते तो हैं कि लोग हमसे बात करें पर सिर्फ वो लोग ही वैसी बातें करें जो हमें अच्छी लगती है वो भी तब जब हम इस काम के लिए (बातें करने के लिए)उपलब्ध हों.

पर अफ़सोस दुनियां हमारे सोचने भर से नहीं चलती.

और जले पर नमक छिड़कने वाले होते हैं वो दुष्ट लोग जो अपनी कंपनी के उत्पाद के बारे में बताने के लिए या फिर उन्हें बेचने के लिए हमारे मोबाईल की घंटी बजा डालते हैं जैसे कोई भक्त मंदिर की घंटी बजा कर भगवान को प्रसन्न करने का जतन करता है. और इस काम के लिए कम्पनियाँ पैसा खर्च करके अपने काम के ग्राहकों के मोबाइल नम्बर जुटाती हैं.

इस सब के बाबजूद सबको अपने मोबाईल पर उस घंटी का इंतज़ार रहता है जो हमारे दिल के तारों को झनझना दे.


आपको नहीं है क्या??

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