बहाना


जन्मदिन तो एक बहाना है
यारों को बुला के पार्टी मनाना है
केक खाना और खिलाना है
और इसी के साथ अपनी कविता भी तो सुनाना है

कहाँ से आये और कहाँ जाना है
जिंदगी हकीकत है या फ़साना है
इन सवालों को दरकिनार करे हमें तो
हंसते खेलते जिन्दगी जिए जाना है

इधर उधर की खबर सुनना सुनना है
हसरतों और ख्वाहिशों के बारे में बतियाना है
और इन सब के बीच में हाले दिल को भी तो छुपाना है

अपनों से मिलाना मिलाना है
टूटते हुए रिश्तों को बचाना है
उम्र का क्या है, साल दर साल उसे तो बढ़ते ही जाना है

धन्यवाद आपका, मुझे कहने का मौका दिया
एक मेहरबानी और कर  दीजिये
कविता ख़त्म हो गयी है
अब आप लोगों को

तालियाँ बजाना है तालियाँ बजाना है

पौलीथीन का प्रकोप

पौलीथीन बैग ने हमारी जिन्दगी बड़ी आसान बना दी है. बड़े से बड़े सामान का बोझ ये पतला सा बैग कितनी आसानी से झेल लेता है और फिर इसकी कीमत भी इतनी कम है कि इस पर हुआ खर्च न के बराबर लगता है.
हर जगह आसानी से मिल जाने वाले इस वस्तु ने हमारी जिन्दगी ही बदल के रख दी है.
पर क्या आपने इसके एक और भयावह पक्ष के बारे में सोचा है? इसे आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता. आप में से बहुत से लोग कहेंगे , ‘इससे मुझे क्या मतलब/ नुक्सान?? मैं तो इसका इस्तेमाल कर फेंक देता हूँ.’.
बस यहीं से इस काम की चीज के प्रकोप की यात्रा शुरू होती है. हमारे देश में अक्सर लोग इसे कचरे के डिब्बे में तक फैंकने की जहमत नहीं उठाते. और जो समझदार लोग इसे किसी कचरे के डिब्बे में फैंक भी देते है, अक्सर उस डिब्बे को भी किसी न किसी खुली जगह पर ही खाली कर दिया जाता है जहाँ से हवा के झोंके इस हल्की सी चीज को अपने हिसाब से इधर उधर बिखेर डालते है. हमारे खेत, जंगल ,खाली जगह, सड़क और कोलोनी में घूमते जानवर  अक्सर इनमें खाने की चीज लगी होने की वजह से या इसे ही खाने की चीज समझ कर खा जाते है जिससे ये उनकी अंतड़ियों को जाम करके उन्हें तड़प तड़प कर मरने के लिए मजबूर कर देता है.
शहर हो या गाँव, छोटी बड़ी खुली नालियां / नाले इसकी सफाई व्यवस्था का हिस्सा होते है. पौलीथीन बैग अक्सर इन नालियों में पहुँच कर इनका प्रवाह अवरूद्ध कर देते है और इस तरह गन्दगी तथा उससे होने वाली बीमारियों/ समस्याओं को जन्म देते है.
इसके अलावा कई अनुसंधान द्वारा ये सिद्ध हो चुका है कि खाने पीने की चीजें विशेष रूप से गर्म चीजें इनमें सीधे रखने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायन बनाती है.   
जिन विकसित देशों में जानवर सड़क और मोहल्ले में खुले नहीं घूमते और जहाँ कचरा निष्पादन की व्यवस्था अच्छे दर्जे की है और खुली नाले/नाली नहीं है और जहाँ जोगों को कहीं भी कचरा फेंक देने की आदत नहीं है, वहां शायद पौलीथीन फायदेमंद सौदा हो पर अपने देश में अभी तो ये नुक्सान का बड़ा कारण बना हुआ है.
क्या आप अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में अपनी कुछ छोटी छोटी आदतें बदल कर इस नुक्सान को कम कर सकते है-
जहाँ तक संभव हो पौलीथीन बैग का इस्तेमाल कम से कम करें , ख़ास कर खाने पीने की गर्म चीजों को रखने में. इसकी जगह कागज या कपडे के बैग का इस्तेमाल शुरू कर सकते है.

अगर मजबूरी में पौलीथीन बैग का इस्तेमाल करना भी पड़ा तो इस्तेमाल करने के बाद को खुले में न फेंकें , न ही ऐसी जगह जहां से यह खुली जगह में जा सकता हो .  अगर संभव हो तो ऐसे  पौलीथीन बैग इकठ्ठे कर के जमीन के भीतर दबा दें.

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