योगी का जीवन

योग की घटना के अहसास के बाद मनुष्य के जीवन में विशिष्ट परिवर्तन होते हैं जिनमें मुख्य हैं – सोच में स्पष्टता उपलब्ध विकल्पों का चयन बेहतर किसी भी परिस्थिति में संतोष से आनंद पूर्वक रहना एक सच्चा योगी वह व्यक्ति है जिसने समाधी या निर्वाण की अवस्था को पा लिया है अन्यथा वह एक योग-साधक कहलाता है. योगी अपनी ही हमेश मस्ती में डूबा हुआ रहता है . वह मन, वचन और कर्म से एकरूपता रखता हुआ आनंदपूर्वक जीता है.ऐसा व्यक्ति समय और सामाजिक व्यवस्थाओं की सीमाओं से आज़ाद होता है पर साथ ही दूसरों के भले के लिए इन सीमाओं का मान भी रखता है. ऊपर से देखने पर तो कोई योगी किसी भी साधारण व्यक्ति की तरह से ही खाता /पीता ,सोता/जागता या फिर बातें करता दिखलाई पड़ता है पर अगर ध्यान से देखें तो उसके व्यवहार का अंतर समझ में आने लगता है. एक योगी केवल उन्ही बातों पर अपनी प्रतिक्रिया देता है जिससे सबका भला हो औए इस ‘सब’ में वह स्वयं भी शामिल होता है. उसकी प्रतिक्रिया क्रोध या भय के कारण नहीं बल्कि नैसर्गिक और जाग्रत अवस्था की होती है.
एक योगी को कुछ बातों से किसी आम आदमी से अलग पहचाना जा सकता है-

श्वांस – अक्सर आम आदमी की स्वांस उथली (shallow) होती है जो अक्सर किसी भी एक नथुने (बाएँ या दायें) से ज्यादा ली जाती है. इसके विपरीत एक योगी की श्वांस गहरी और सम्यक (balanced & stable)होती है. भोजन- योगी अपरिग्रह (यम) का पालन करता हुआ अपनी भूख से ज्यादा कभी नहीं खाता. वह भूखा होने पर ही खाना ग्रहण करता है ,किसी रस्म अदाई या सामाजिक अनुष्ठान का पालन करने के लिए नहीं. उसका भोजन ही उसकी औषधि होता है जो सदैव समय और परिस्थिति के अनुकूल होता है. वह अपना भोजन धीरे-धीरे खाता है और शरीर द्वारा दिए गए संकेतों को समझकर इसे बंद करता है .
 विचार- एक योगी के विचार स्पष्ट और सम्यक होते हैं तथा वह उनमें उलझता नहीं है. विचार-शून्य अवस्था में अपनी इच्छा से पहुँच सकता है और अपने ही विचारों का द्रष्टा बन सकता है.
 भावनाएं–विचारों की तरह एक योगी अपनी भावनाओं का भी द्रष्टा बन सकता है और उनसे अपने को अलग रख कर देख सकता है. वह एक आम आदमी की तरह अपने मन में पड़ी भावनाओं में उलझ कर नहीं रह जाता . इच्छाएं– योगी के जीवन में भी इच्छाएं होती हैं पर अधिकतर यह अपनी जानकारी के दायरे में आने वाले लोगों के भले के लिए होती है.
आनंद -एक योगी हर समय आनंद की स्तिथि में रहता है . उसकी यह स्तिथि उसकी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती है. वह एक त्योहार / उत्सव के रूप में हर समय जीवन व्यतीत करता है और ऐसा करने के लिए कैलेंडर / घटनाओं पर निर्भर नहीं करता है।
वातावरण से समन्वय- योगी के आस पास जो भी घटित हो रहा है वह उससे समन्वय व् सामंजस्य स्थापित कर लेता है. उसे ज्ञात होता है कि क्या बदलना उसके बस में है और क्या नहीं.

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