गुरु और बैलेंस शीट

हमारे जीवन में (और इस ब्रह्माण्ड में) जो भी घटित हो रहा है वह सबके भले के लिए ही हो रहा है. ईश्वर की बनाई स्रष्टि में कुछ न तो अनावश्यक है और न गलत (पर एक विशेष समय पर हमारे द्रष्टिकोण से  हमें ऐसा लग सकता है).
पर यह बात अक्सर हमारी समझ में नहीं आती या बड़ी देर होने के बाद आती है.
हमरा परिचय अपनी वस्तुस्थिति से करने का माध्यम होता है गुरु. गुरु हमारे बदले हमारा जीवन नहीं जी सकता , उसे तो हमें ही जीना होगा. पर थोड़ी देर के लिए वह हमें जीवन के दो विरोधी से लगाने वाले पक्षों का सही रूप में ज्ञान करा देता है जिससे हमें किसी भी परिस्थिति में आनंदपूर्वक  जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है.
इस बात को समझने के लिए बैलेंस शीट का उदाहरण लिया जा सकता हैजिसका अक्सर संस्थाओं में उपयोग किया जाता है. 
हर संस्था या कंपनी में निपुण अर्थशास्त्री अपने प्रबंधन-अधिकारीयों को  हर साल (या जरूरत पड़ने के समय ) सभी सौदों/लेन-देन का ब्यौरा एक बैलेंस शीटके रूप में रख कर समझाते है जिसे आगे उस संस्था के शेयर धारकों और  सरकार को भी प्रस्तुत किया जाता है. यह बैलेंस शीटएक नियत समय में उस संस्था /कंपनी की आर्थिक स्वास्थ्य की को दर्शाती है और आगे क्या संभावनाएं है या मजबूरियां हैं इसकी तरफ इशारा भी करती है.
बैलेंस शीटमें अर्थशास्त्री इस तरह से उस बैलेंस को हमें दिखाने की कोशिश करते हैं, जो अन्यथा देखना बड़ा मुश्किल होता है. इसमें एक शून्य रेखा के दोनों तरफ का ब्यौरा इस तरह से रखा जाता है कि दोनों तरफ का बैलेंस साफ दिखाई देता है और इसी लिए इसे बैलेंस शीट कहा जाता है. इसमें-
  • खर्चे एक तरफ रखे जाते हैं और आमदनी दूसरी तरफ
  • देनदारी एक तरफ रखी जाती हैं और अर्जित पूंजी व लेनदारी दूसरी तरफ
इसे देखकर न सिर्फ अपनी धन शक्ति का ठीक आभास होता है बल्कि इसे ठीक से समझने के बाद  आगे क्या करना है इसका निर्णय लेने में भी आसानी होती है.

इसी तरह से गुरु से हमारा परिचय होने पर वह हमारे द्वारा किये गए अब तक के कार्यों की समीक्षा कर के इनको एक बैलेंस लाइन पर दोनों तरफ ठीक से व्यवस्थित करके हमें यह अहसास करते हैं किहमारे जीवन में कैसे अब तक बैलेंसबना हुआ था जैसे कि अर्थशास्त्री बैलेंस शीट के माध्यम से मैनेजमेंट या शेयर धारकों को समझाते है. इससे हमें यह निर्णय करने में आसानी होती है कि हमारे लिए अब कौन सा मार्ग उचित है.

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