मनसा वाचा कर्मणा


जीवन में हम जो कहते हैं अक्सर करते नहीं (या नहीं कर पाते) और जो करते हैं उसे पूरी निष्ठा या विशवास के साथ नहीं कर पाते.
इस तरह हमारे व्यक्तित्व में तालमेल नहीं रह पाता और अक्सर हम चिंता, क्रोध, डर, लालच , अवसाद (डिप्रेशन) और तनाव जैसी स्थितियों में फंसने लगते है.
हमारे पूर्वजों द्वारा वैज्ञानिक विधि से महान तप और अनुसंधान कर के बनाई गयी योग विद्या की तकनीक से कोई भी मनुष्य अपने भीतर की द्वन्दकारी  शक्तियों का सटीक उपयोग कर स्वस्थ रह सकता है.
एक योगी जो कहता है वही करता है और उसे अपनी अंतरात्मा से करता है दिखावे या रस्म अदायगी के लिए नहीं

No comments:

Post a Comment

My new eBook