पता ही नहीं चला


हसरतों के पूरा होने के इंतज़ार में
इतना वक्त कब निकल गया
हमें तो पता ही नहीं चला

तिनके तिनके से घोंसला बनते देखा करते थे
परिवार कब बिखर गए
हमें तो पता ही नहीं चला

सुना है अच्छे दिन आये
और चले भी गए
हमें तो पता ही नहीं चला

बाजार कब गुलज़ार न थे
पर हम भी कब बिक गए, अपनों ही के हाथों 
हमें तो पता ही नहीं चला



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