ज़िंदगी


ज़िंदगी अगर एक बार तूने
पलट कर देख लिया होता 
फिर कभी हमने नहीं
कोई मिस्टेक किया होता

अगर पहले से मिल जाती
तेरी स्क्रिप्ट की एक कॉपी
फिर ना रिहर्सल के बिना कोई
फाइनल टेक दिया होता

जो भी गिफ्ट तू लेके आयी मेरे लिए
उसकी कीमत की समझ को
मेरी समझदानी में पहले सी ही सैट किया होता
फिर देख, मैंने कैसे अपने को अपडेट किया होता

तू छोटी छोटी ख़ुशी देकर मेरी पीठ थपथपा रही थी
तेरा हर इम्तेहान कुछ सिखाने के इरादे से आया था
ये भेद अगर समय रहते जान लिया होता
तो क्यों मैं लल्लू की तरह फेक जिया होता

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