प्रधान मंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह को विपक्ष और मीडिया द्वारा ‘सबसे कमज़ोर प्रधान मंत्री’, ’कठपुतली’, ‘बेईमान नेताओं का ईमानदार नेता’ आदि की पदवियों से नवाज़ा जाता रहा है. अगर इनके अंदर ताकत का इंजेक्शन डाल कर उन्हें हिटलर सरीखा ताकतवर भी बना डालें तो क्या कुछ अनहोनी घट जायेगी? इस देश ने इंदिरा गांधी और अटलबिहारी जैसी ताकतवर शक्सियतो को भी अज़माकर बाहर का रास्ता दिखाया है.
समस्या ये है कि सब सोचतें हैं कि देश पर कोई भी समस्या आते ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा शख्स जादू की छड़ी घुमा कर सब कुछ ठीक कर देगा और वित्त मंत्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति बज़ट नाम का पिटारा खोल कर महगाई के नाग को झट से बस में कर लेगा.
हम व्यक्तिगत रूप से खुद इस दिशा में कुछ नहीं करना चाहते.
इसी मनोदशा के चलते ताज्जुब नहीं अब भी कुछ विकसित देशों में भारत को संपेरो और मदारियों का देश समझते है.
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