करोना

 'लॉकडाउन' पुस्तक में मेरी रचना को भी स्थान मिला




उम्र हो गयी बासठ

मेरी यह कविता stroymirror.com में प्रकाशित हुयी
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समग्र भारत

मेरा यह आलेख लखनऊ से प्रकाशित पत्रिका 'साहित्य प्रोत्साहन' में प्रकाशित हुआ ।

सिनेमा-अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम

 भारत सरकार के केंद्रीय हिंदी निदेशालय की पत्रिका 'भाषा' के जुलाई /अगस्त २० अंक में मेरा आलेख 'सिनेमा-अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम' प्रकाशित हुआ ।   






जब करोना को रोना आया

 


एक बार किसी सूनसान जगह पर दो करोना वाइरस टहल रहे थे

दोनों ही उस जगह पर किसी इंसान के आने का इंतजार कर रहे थे

दोनों ने वक्त काटने के लिए एक दूसरे से बात करना शरू किया

और इस तरह उन दोनों ने अपनी - अपनी बोरियत को दूर किया

एक  बोला, ' कल की रात मैंने खुले आसमान के नीचे ही बिताई

अब तो जल्दी से कोई इंसान का बच्चा कहीं दिख जाये मेरे भाई 

दूसरा बोला मित्र तुम चाहे किसी की भी नाक में घुस जाना

पर भूल से भी किसी लेखक के पास कभी भी मत जाना 

मैं भुक्तभोगी हूँ , इसलिए अपने अनुभव से बता रहा हूँ

अपनी व्यथाकथा बता कर तुम्हें सही रास्ता दिखा रहा हूँ

इनसे बचाकर रहना क्योंकि इन्हें हर जगह

नाक घुसा कर सूंघने की बीमारी है

एक लेखक की इसी बीमारी का शिकार हो कर मैंने

एक बड़ी दुःख भरी जिन्दगी गुजारी है

 

तुम तो जानते ही हो हम वायरस लोग पहले दो-तीन दिन साइनस-कैविटी में बिताते है

और किसी भी इंसान के शरीर की इस सबसे कूल जगह पर खूब मौज मस्ती मनाते हैं 

पर मैंने देखा कि लेखक के अंदर की इस जगह में तो एक अजीब सी गर्मी थी

और यह जगह औरों की तरह शरीर की सबसे कूल जगह बिलकुल भी नहीं थी

वह सूंघ कर इकट्ठे किये हर एक आइटम को

अपने विचारों के द्वन्द से सता रहा था 

 उन्हें कभी इधर तो कभी उधर से देख कर

 पता नहीं क्या खिचड़ी पका रहा था

उसने मुझे भी देखा , पर काम की चीज न समझ कर

दूसरों के पैरों की ठोकर खाने के लिए वहीं पड़ा रहने दिया

घबरा कर जब मैंने वहां से नीचे जाना चाहा

तो वहां की उठा-पटक ने  मुझे नीचे ही नहीं सरकने दिया

 

3 की जगह 13 दिन बिताकर जैसेतैसे

फिर मैं थोड़ा नीचे गले तक आ गया

यहाँ की हालत तो ऊपर से भी बुरी थी

हर तरफ शब्दों की झड़ी लगी हुयी थी

न जाने कितनी कहानियां और कवितायेँ 

बाहर निकलने को तड़प रही थी  

अपने इस उन्मांद में इस भीड़ ने मुझे

अपने पैरों तले रोन्द डाला

और मेरे फेंफड़े तक के सफर को

बेहद मुश्किल बना डाला

जैसे तैसे अनगिनत ठोकरें खा कर

मैं जब उस इंसान के फेफड़े तक सरक आया

तो वहां गड़बड़झाले का एक अजीब मंजर पाया

गले में जैसे शब्दों का अम्बार लगा था

इसी तरह उसका दिल तरह तरह की भावनाओं से भरा था 

और आदमियों के तो दिल से खून बह कर फेफड़ों में आता है

पर इसका दिल तो भावनाओं के दम पर ही धड़क रहा था

और थोड़े से खून के साथ कितनी ही भावनाओं को फेफड़ों में पटक रहा था

भावनाओं के उस दंगल से मैंने कैसे निजात पाई

इसे तो मेरा दिल ही जनता है मेरे भाई 

आम इंसानों के फेफड़ों में तो हम लोग फ़ैल कर रहते हैं  

पर लेखक के गले में उछलकूद करती भावनाओं ने मुझे सिमटा डाला 

अब मैं इतना डर गया हूँ कि

हर लेखक से दो फिट की सोशल डिस्टेंस रखता हूँ

मेरे अनुभव से अगर तुम्हें फायदा उठाना है

तो तुम्हें भी लेखकों से दूरी बनाना है


Photo by Josh Hild from Pexels

 

अविरल प्रवाह

 छत्तीसगढ़ से प्रकाशित होने वाली 'अविरल प्रवाह' पत्रिका में मेरी रचनओं को भी स्थान मिला



अमीरों का देश

 मेरी यह रचना साहित्य समीर दस्तक पत्रिका में प्रकाशित हुयी 








बारगेन बार बार

 साहित्य कलश पत्रिका में मेरा यह आलेख प्रकाशित हुआ 





दुखद परिस्थिति

मेरी एक रचना  हैदराबाद के समाचारपत्र मिलाप (२३ सितम्बर २०) में प्रकशित हुयी 

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इश्क

 मेरी  यह कविता  storymirror.com पर प्रकाशित हुयी

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काव्य पाठ

 कादम्बिनी क्लब हैदराबाद की ऑन-लाइन काव्य गोष्ठी में मुझे अपनी कविता  पढ़ने का मौका मिला ।


तकनीक का इस्तेमाल

मेरी यह रचना प्रतिलिपि पर प्रकाशित हुई  

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परिचर्चा

 सूत्रधार संस्था के द्वात्र आयोजित ऑनलाइन चर्चा में भाग लिया जिसके समाचार को  कई समाचारपत्र और वेब साईट  ने प्रकाशित किया ।  

शब्द प्रवाह

newskranti.com 





बरसों की मेहनत

मेरी यह कहानी  प्रतिलिपि पर प्रकाशित हुयी

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विदेशी मेहमान

मेरी यह कहानी  प्रतिलिपि पर प्रकाशित हुयी

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Photo by Lucky Trips from Pexels

तुम्हारा जीजू

मेरी कहानी  'तुम्हारा जीजू' प्रतिलिपि तथा storymirror.com पर प्रकाशित हुयी

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मृत्यु दिवस

मेरी यह कविता 'अमर उजाला' समाचार-पत्र  के 'मेरे अल्फ़ाज़' स्तम्भ में  भी प्रकाशित हुई
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रिश्ते

मेरी यह कविता 'अमर उजाला' समाचार-पत्र  के 'मेरे अल्फ़ाज़' स्तम्भ में  भी प्रकाशित हुई
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प्रेम गीत गाओ

मेरी यह कविता 'अमर उजाला' समाचार-पत्र  के 'मेरे अल्फ़ाज़' स्तम्भ में  भी प्रकाशित हुई
पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें 

काव्य पाठ

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद की ऑन-लाइन काव्य गोष्ठी में मुझे अपनी कविता 'संवेदनाओं का गणित' पढ़ने का मौका मिला ।
इस सम्बन्ध में हैदराबाद के समाचार पत्र साक्षी-समाचार,दैनिक मिलाप और स्वतंत्र वार्ता  में प्रकाशित समाचार । 
साक्षी समाचार की साईट पर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।
पूरी काव्य गोष्ठी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें ।
इसी कविता को अमर उजाला पर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।


राजनेता

मेरी यह रचना StoryMirror.com पर प्रकाशित हुयी
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संवेदनाओं का गणित

मेरी यह कविता 'अमर उजाला' समाचार-पत्र  के 'मेरे अल्फ़ाज़' स्तम्भ में  भी प्रकाशित हुई
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मर्यादा

मेरी यह रचना  प्रतिलिपि में प्रकाशित हुई
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बदलाव का आरम्भ

मेरे विचार  'अमृत विचार ' समाचार-पत्र  में प्रकाशित हुए
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नेताजी

मेरी यह कविता 'अमर उजाला' समाचार-पत्र  के 'मेरे अल्फ़ाज़' स्तम्भ में प्रकाशित हुई
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इश्क़

मेरी यह कविता 'अमर उजाला' समाचार-पत्र  के 'मेरे अल्फ़ाज़' स्तम्भ में प्रकाशित हुई
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करोना का खौफ

भोपाल से प्रकशित होने वाली पत्रिका 'साहित्य समीर दस्तक' के मई अंक में मेरी यह कविता प्रकाशित हुयी



संवेदनाओं का गणित

मेरी यह कविता  storymirror.com पर प्रकाशित हुयी।
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ऊपर की कमाई


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अपवाद

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खबरों की दुनिया



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समग्र भारत


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जागते रहो


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