जादुई आस

भारतीय मानसिकता भी अजीब है. हम सब को इन्तजार रहता है बौलीवुड की फिल्मो की तरह की कोई जादुई घटना होने का जो सब कुछ ठीक कर देगी.
इसलिए हम असल ज़िंदगी में भी इंतज़ार ही करते रहते हैं की सब कुछ अपने आप या भगवान् की दुआ से ठीक हो जाय.
सरकार कुछ क्यों नहीं करती ?
प्रधानमंत्री क्यूँ नहीं सब ठीक नहीं करते?
वित्त मंत्री क्यूँ नहीं ठीक बजट नहीं बनाते?
अपनी क्रिकेट टीम ठीक से क्यूँ नही खेलती?
                                                        
इस तरह के सवाल अक्सर लोगों के मन में चलते रहते है. हमारी सारी आशाएं और अपेक्षाएं दूसरों से ही रहती है.
क्या हमने कभी सोचा है कि हर काम कोई और क्यों करे ?
हम खुद अपनी जिंदगी क्यूँ नहीं ठीक कर सकते ?
सच तो ये है कि असल ज़िंदगी में बाहर से जादू कि छड़ी लेकर कोई नहीं आने वाला. जो कुछ करना है वो  हमें ही करना है .

जादुई आस हमें इतना निक्कमा न बना दे कि फिर भगवान् भी हमारे लिए कुछ न कर पाये.


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