हिसाब किताब

अधिकतर गरीब और मध्यम वर्गीय व्यक्ति यह सोचते है कि काला धन तो सिर्फ अमीरों के पास ही होगा.

वे शायद यह समझ नहीं पाते (या समझना नहीं चाहते) कि काला धन कोई अलग तरह का धन नहीं है. ये तो बस वह पैसा है जिस पर सरकार को टेक्स नहीं दिया गया है.

ये वही पैसा है जो हमने थोडा सा पैसा बचाने या असुविधा से बचने की खातिर में किसी होटल /हलवाई /टेंट वाले /किराना वाले या दवाई की दुकान पर दिया है और रसीद नहीं मांगी (और बेचने वाले ने यह रकम अपने दो नंबर के खाते में लिख कर टैक्स बचाया). या फिर जमीन खरीदते समय सरकार को बताई गयी रकम (रजिस्ट्री) से ज्यादा कैश में लिया जिससे थोडा सा टेक्स बच सके. इसी तरह सोना खरीदते समय बड़ी खरीदारी को छोटी छोटी कई खरीदारी में दिखाकर सरकार की नज़रों से बचकर टेक्स की चोरी कर डाली.

गोया थोड़ी थोड़ी कालिख हम सब के मुहं पर पुती है. इस काली कमाई को हमने अब तक खूब बनाया और उडाया है. अब नोट बंदी होने पर पहली बार तो एक सीमा तक हम इस काली कमाई को भी अपनी पिछले कई सालों की बचत बता कर बच निकालेंगे. पर सरकार की कैश लेनदेन पर कसती लगाम के चलते हमें अपनी आदतें भी बदलनी होंगीं. 


अब तो सबको अपनी आमदनी और खर्चे का पाई पाई का हिसाब किताब रखना होगा तभी जिन्दगी से कलोंच जायेगी और सफेदी का उजाला आएगा.

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