जिंदगी जो घर बनाने के चक्कर में कहीं खो सी गयी है उसका पता ढूँढ रहा हूँ हर जगह
सुंदर रचना दीपक । बच्चों में संवेदनाएं अभी भी बाकी हैं । जिसके कारण परिवार एवं समाज सुंदर है। बड़े लोग तो शमशान के मुर्दे ही हैं। वह तो मूक दर्शक ही बने रहेंगे ।
सुंदर रचना दीपक । बच्चों में संवेदनाएं अभी भी बाकी हैं । जिसके कारण परिवार एवं समाज सुंदर है। बड़े लोग तो शमशान के मुर्दे ही हैं। वह तो मूक दर्शक ही बने रहेंगे ।
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