जिंदगी का गणित



प्रशन - एक तौलिया अगर एक घंटे मै सूखता है तो १० तौलिये कितनी देर मै सूखेंगे ?
उत्तर- १० घंटे.
प्रश्न -एक मजदूर एक गड्डे को १०  घंटे मै खोदता है तो १० मजदूर उसे कितनी देर मै खोदेंगे ?
उत्तर -१० घंटे.

गणित की द्रष्टि से ये जबाब बिलकुल सही लगते है पर व्यावहारिक जीवन में  हमें ये गणनाये इस तरह से समझ में  आती है-

एक तौलिया हो या १०, सुखाने मै एक घंटा ही लगेगा, बस सुखाने के लिए जगह होनी चाहिए.
गड्डा अगर इतना बड़ा कि १० मजदूर एक साथ काम कर सके तो शायद एक घंटे मै काम हो जाय. वर्ना अगर गड्डा छोटा है और मजदूर मिलकर बात करने लगे या यूनियन बना लें तो फिर भगवान की मालिक है.

अफ़सोस , कूछ लोग कोरी किताबी बातों के आधार पर बड़ी बड़ी योजनाये बना लेते है और वांछित परिणाम न मिलाने पर उस विद्या को ही कोसने लगते है जिसका सहारा लेकर उन्होंने ये गणनाये की है. 

यहाँ ध्यान  देने योग्य बात यह है कि -
१. जब हम कोई फार्मूला लगा कर परिणाम निकलते है तो ये माना जाना चाहिए कि और सब बातें वेसी ही रहेंगी ,उनमे कोई बदलाव नहीं होगा. पर अक्सर इस बात को भूल कर हम बस फोर्मुले के परिणाम को ही ध्यान में रखते है. इस परिणाम को हमें व्यावहारिक द्रष्टि से सोच कर जो वातावरण की और चीजे इस पर असर डालेंगी और जिनका हम अनुमान लगा सकते है, उसके हिसाब से परिवर्तित करके देखना चाहिए.
२. किसी दूसरे व्यक्ति की योजना पर अमल करने से हमें भी वैसे ही  परिणाम मिले ये जरूरी  नहीं, बल्कि इसकी उम्मीद भी  नहीं रखनी चाहिए. हर व्यक्ति की क्षमता और परिस्थिती अनूठी है.
३.योजना बनाते समय हमें ख़राब  से ख़राब परिस्थिती का विचार करके निर्णय लेने चाहिए. अगर परिस्थिति अनुकूल रहेंगी तो परिणाम गणना  से अधिक होंगे ,और हमें खुशी भी देंगे.
४. जो लोग हमेशा ही कुछ न कुछ गणना करते रहते है वो जीवन के आनंद से वंचित रह जाते है. जिन्दगी जीने या अनुभव करने के लिए है ,इसे हर वक्त गणनाओ मै उलझाकर इसका स्वाद ही चला जाता है.    

चित्र जिफैनीमेशन द्वारा

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