जन्मदिन तो एक बहाना
है
यारों को बुला के
पार्टी मनाना है
केक खाना और खिलाना है
और इसी के साथ अपनी
कविता भी तो सुनाना है
कहाँ से आये और
कहाँ जाना है
जिंदगी हकीकत है या
फ़साना है
इन सवालों को दरकिनार
करे हमें तो
हंसते खेलते जिन्दगी
जिए जाना है
इधर उधर की खबर
सुनना सुनना है
हसरतों और ख्वाहिशों
के बारे में बतियाना है
और इन सब के बीच में
हाले दिल को भी तो छुपाना है
अपनों से मिलाना
मिलाना है
टूटते हुए रिश्तों को
बचाना है
उम्र का क्या है, साल
दर साल उसे तो बढ़ते ही जाना है
धन्यवाद आपका, मुझे
कहने का मौका दिया
एक मेहरबानी और
कर दीजिये
कविता ख़त्म हो गयी है
अब आप लोगों को
तालियाँ बजाना है
तालियाँ बजाना है
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